गोत्र |
प्रासिध्दीचा सन |
आडनाव पोटनावासह |
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१३ विष्णुवृध्द |
१९८० |
नेने |
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१४ शांडिल्य |
१९१७ |
वाईकर - सहस्त्रबुध्दे(१७५०-१९१७) |
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१४ शांडिल्य |
१९४२ |
वाईकर सहस्त्रबुध्दे(१९१७-१९४२) |
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१४ शांडिल्य |
१९६५ |
वाईकर सहस्त्रबुध्दे (१९४२-१९६३) |
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१४ शांडिल्य |
१९९० |
वाईकर सहस्त्रबुध्दे( १७५०-१९९०)
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१४ शांडिल्य |
१९३६ |
थत्ते (विद्वांस कुटुंबळे फडणीस)
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१४ शांडिल्य |
१९४१ |
सोमण (नरवणे, मायले)
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१४ शांडिल्य |
१९४३ |
डोंगरे (पावगी)
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१४ शांडिल्य |
१९४७
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नित्सुरे |
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१४ शांडिल्य |
१९५२
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केळकर (कुटुंबे कोझरेकर) |
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१४ शांडिल्य |
१९५३
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गणपुले |
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१४ शांडिल्य |
१९७२ |
माटे
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१४ शांडिल्य |
१९७४ |
रिसबुड
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१४ शांडिल्य |
१९८२
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जोशी (चाळीस उपनावासह) |
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१४ शांडिल्य |
१९८३ |
जोशी- पुरवणी |
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१४ शांडिल्य |
१९८६ |
गांगल |
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१४ शांडिल्य |
१९८९
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दामले |
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१४ शांडिल्य |
१९९१ |
ताम्हनकर |
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१४ शांडिल्य |
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सन १९१४ ते १९९१ अखेर या वर्षातले माहित झालेले चित्तपावन कुलाव्यातिरीक्त अन्य कुलांचे प्रकाशित कुलवृत्तांत प्रासिध्दीचा |
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१९५२ |
जाधव
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१९२६ |
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१९२९ |
सरदेसाई मावळकर तीन भाग
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१९३० |
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१९२८
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वाठारकर- निबांळकर |
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१९२९ |
पानसे
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१९३९
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आठल्ये |
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१९३९ |
कुलाबकर आंग्रे सरखेल |
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१९४२
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पाचे शेटे |
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१९४२
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गुण्ये |
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१९५४
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खलप |
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१९५६
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राजोपाध्ये |
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१९६१ |
मावळंकर घराण्याचा इतिहास
(सरदेसाई लळीत गोविलकर)
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१९६५ |
कद्रेकर-नाडकर्णी |
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१९७२ |
नानाल (बडोदेकर महाजनीसह)
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१९९२ |
चांद्रसेनीय कायस्थ प्रभु
समाजाचा इतिहास
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१९९४ |
गौड सारस्वत समाज
पारिचय ग्रंथ |
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मागे |
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